
आत्मनिर्भर भारत के निर्माण हेतु संसद ने तीन ऐतिहासिक श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी। बुधवार को संसद में श्रम कानून में सुधार से जुड़े तीन विधेयकों के पारित होने के बाद देश में आर्थिक विकास होने की असीम संभावनाओं ने रफ्तार पकड़ ली है। राज्यसभा ने बुधवार को उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पास कर दिया गया है।
श्रम सुधार विधेयकों के तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कम्पनियां बिना सरकार की इजाजत के कर्मचारियों को हटा सकेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ट्वीट के जरिए ये बताया कि ये सुधार विधेयक देश के श्रमिकों की भलाई सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा ये आर्थिक उन्नति में बहुमूल्य भूमिका निभाएंगे। मोदीजी के ट्वीट के अनुसार ये सुधार मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस का एक अद्भुत उदाहरण है। ट्वीट के द्वारा प्रधानमंत्री जी ने अपनी खुशी जाहिर की और उनका ट्वीट तीनों विधेयकों के पास होने से भविष्य में होने वाले आर्थिक विकास की ओर इशारा करता है।
New Labour codes for New India!
— Ministry of Labour (@LabourMinistry) September 24, 2020
50% of the penalty in case of accident to go to the workers alongwith other dues. #AtmaNirbharShramik #BadegaRozgar #SatyamevJayateShrameyJayate pic.twitter.com/QiAf3dNiRB
पीएम मोदी जी ने कहा कि नया श्रम कोड श्रमिकों की व्यावसायिक सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। इसके अलावा ये न्यूनतम मजदूरी और मजदूरी का सही समय पर भुगतान भी करता है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को सुनिश्चित करने में ये श्रम सुधार विधेयक का अहम योगदान रहेगा। ये सुधार विधेयक उद्योगों को सशक्त बनाने में भी अपनी भूमिका निभाएंगे।
श्रम संहिताओं पर श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार ने भी अपने विचार साझा किए। इस संहिता के माध्यम से केंद्र सरकार ने 50 करोड़ श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी अथवा समय पर वेतन मिलने का कानूनी अधिकार दिया था । माननीय सदन के सामने 3 अन्य श्रम संहिताएं लाई गई। व्यवसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संहिता विधेयक, 2020 में श्रम कानून की संख्या 13 है,औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक, 2020 में कुल 3 श्रम कानून हैं तथा सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2020 में कुल 9 श्रम कानून समाहित किए गए। श्रम मंत्री ने आगे कहा कि इन तीनों श्रम संहिताओं के बदौलत श्रमिकों, उद्योग जगत एवं अन्य संबंधित पक्षों के अधिकारों तथा आवश्यकताओं में सामांजस्य बिठाया गया है तथा उम्मीद है कि ये श्रम संहिताएं श्रमिकों के कल्याणकारी भविष्य की नींव रखेंगी।
यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के तीन मंत्र हैं – रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म। इसी मंत्र पर अमल करते हुए भारत की सरकार ने 2014 से लेकर अब तक श्रमिकों के हित में अनेक फैसले लिए हैं। अब उम्मीद यही है कि सभी श्रम संहिताओं के द्वारा समग्र श्रम सुधार का सपना साकार हो जाएगा। कार्यकाल के आरंभ में माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सत्यमेव जयते के समान महत्व श्रमेव जयते को दिया था।
जो कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम कर रहे हैं, उन्हें उनके वेतन के अलावा अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिल सकेगा। चाहे वो ग्रेच्युटी कितने दिन का भी क्यूँ ना हो। यदि कोई कर्मचारी नौकरी की शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्युटी का भुगतान उसे एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटी के तौर पर दिया जाएगा। सोशल सिक्योरिटी कोड के नए प्रावधानों में यह स्पष्ट किया गया है कि जिनको फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी, उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी अधिकार मिलेगा। इसके लिए पांच साल पूरे करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
श्रमिक देश की शान हैं और उनसे ही उद्योगों का वजूद है। ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रगतिशील श्रम सुधार विधेयकों में जो प्रावधान हैं उनसे कारोबार करना आसान हो जाएगा। विधेयकों को ले आने का मकसद कहीं ना कहीं भारत को आत्मनिर्भर बनाने से जुड़ा हुआ है।
ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एवं हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल कंपनियों को छूट प्रदान करेंगे ताकि वो अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें। इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट को कितनी भी बार एवं कितनी भी अवधि के लिए बढ़ाया जा सकेगा। अभी इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है। मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक लगाने वाले प्रावधान को भी अब हटा दिया गया है। साथ ही महिलाओं के लिए वर्किंग आवर सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा। यदि शाम 7 बजे के बाद काम कराया जाता है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से कंपनी की होगी।
श्रमिकों को न्याय दिलाने एवं उनको सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रदान कराने के उद्देश्य से लाए गए श्रम संहिता संबंधी तीन विधेयक पहले लोकसभा से पारित हुए और उसके बाद राज्यसभा ने इन्हें स्वीकृति दे दी।